जिंदगी तो अब उसे ये पुष्प बेला सी लगी
18/9/2023
गीतिका छंदाधारित गीतिका ( मापनी युक्त मात्रिक,26 मात्राएं, मापनी – 2122 2122 2122 212) यति 14,12 पर या 12,14 पर
समांत – ई,
अपदांत
#गीतिका #
आदमी की जिंदगी अब, कुछ सवालों से घिरी।
हर तरफ उलझन ही’उलझन बस बवालों में फंसी।।(१)
है मशीनी दौर ऐसा,सांस की फुरसत नहीं,
आदमी की जिंदगी अब, नींद में भी चल रही।(२)
हो गया है आदमी, खुदगर्ज ऐसा दीखता,
आदमी की जिंदगी बस, स्वार्थपन में है रॅगी।(३)
ढूंढना बस खामियां ही, आदमी का है चलन,
आदमी की जिंदगी तो, है चमन के फूल सी।(४)
सच सुनो तो बात अपनी, कह रहा है ये अटल,
जिंदगी तो अब उसे ये ,पुष्प बेला सी लगी।(५)
🙏अटल मुरादाबादी 🙏