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20 Feb 2019 · 1 min read

जिंदगी जीने की कला

दिनांक 20/2/19

जीने की भी
होती है कला एक
बहादुर जीते है
बहादुरी के साथ
देश के लिए
होते है शहीद
न्योछावर कर देते है
सब कुछ अपना

कला ,
बचपन जीने की
होती है मजेदार
अपने में मगन
छूने की कामना
होती है गगन

रहता है बुढापे में
आसरा भगवान का
नाती पौतो के साथ
जीने की
कला होती है निराली

सीखो
हँसी खुशी
से जीना और
जीवन को बनाओ
सतरंगी

ईमानदारी, लगन,
मेहनत से जियो और
देश , समाज ,
परिवार के
विकास में
योगदान देने की
सीखो कला
मेरे दोस्त जीवन में

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल

Language: Hindi
184 Views
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