जिंदगी जिंदा दिली से फिर से चलनी चाहिए।
गज़ल
2122……2122…….2122…….212
अब तो इन दुशवारियों की हार होनी चाहिए।
जिंदगी जिंदा दिली से फिर से चलनी चाहिए।
लेके कश्ती गर चले हो तुम समंदर पार को,
है ये पहली चीज इक पतवार होनी चाहिए।
कोरे वादो से उन्हें भरमा नहीं पाओगे तुम,
गर प्रगति कुछ हो रही जनता को दिखनी चाहिए।
जो न चलते हैं हवाई यान मोटर के बिना,
चार कंधों की उन्हें कीमत समझनी चाहिए।
जिंदगी मैंने भी कर दी अब तुम्हारे नाम ही,
तेरी मेरी जिंदगी क्या एक होनी चाहिए।
आशियाना रोजी रोटी के लिए कटिबद्ध हो,
काम जनहित का करे सरकार ऐसी चाहिए।
प्रेम गर प्रेमी करो तो कृष्ण राधा सा करो,
शीरी औ’र फ़रियाद, रांझा हीर होनी चाहिए।
……✍️ प्रेमी