जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है।
जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है,
इक चेहरे को अपने साथ ले आती है।
अंधेरी रातों में तन्हाईयाँ सी छा जाती हैं,
और जागती सुबहों में परछाईयोँ को बुलाती हैं।
सवालों पे सवाल तो बहुत उठाती है,
पर जवाबों पे मौन भी हो जाती हैं।
कई खयालों को जहन में जगाती है,
और हिजाबों का पहरा भी लगाती हैं।
इक अज़नबी सा मौसम लेकर आती है,
ना धूप हीं जला पाती है
और ना हीं बारिश भीगा कर जाती है।
बहारों में भी पतझर का एहसास दिलाती है,
और सितारों को गर्दिशों की राह में भटकाती है।
दिखा कर ख्वाब मुझे संसार का
वैराग की ओर ले जाती है।
जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है,
इक चेहरे को अपने साथ ले आती है।