जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में..
जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में
न कोई दोस्त है न कोई यार है
बस अकेला रह गया हूँ जमाने में
जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में
किसी को भी तो मेरी फिक्र हो
कहीं भी तो मेरा जिक्र हो
अब सदियाँ लगेंगी मुझे भुलाने में
जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में
न अब अंधेरा है न ही उजाला है
सबसे प्यारा मेरा मय का प्याला है
खुश हूँ मैं अपने इसी आशियाने में
जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में
सभी ने मुझे अकेला किया था
अपने दिल से रुसवा किया था
लेकिन कब तक रहोगे तयखाने में
आना तुमको भी है मयखाने में
जिंदगी गुजर रही अब मयखाने में
✍️ रमाकान्त पटेल