जिंदगी की पलकों पर
ऐ ज़िंदगी,
हम तो चले थे खुले आसमान में ऊँची
उड़ान भरने,
पर कम्बख़त वक्त ने हवा में उड़ा दिया
तन्हा धुवा जैसे,
बड़े अरमान थे तुझसे ये जिंदगी तेरी पलकों पे
सजने के,
पर तूने तो बहा दिया मासूम आँखों
से छलका के,
नहीं लगता था कभी डर तेरी जलती
आँखों से।
पर आज तो काँप जाती है रूह तेरे मुस्कराने
से।