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31 May 2022 · 1 min read

जिंदगी के किस्से

​जिंदगी के किस्से,

मैं किसे सुनाऊं?

समझ नहीं आता,

मैं कहाँ जाऊँ?

दुनिया इतनी बड़ी है,

फिर भी मैं अकेला हूँ,

बचपन से अब तक,

सिर्फ मुश्किलों से खेला हूँ.

थक गया हूँ,

अब मैं भी जीना चाहता हूँ,

औरों की तरह

मैं भी खुश रहना चाहता हूँ.

अनाथ होना,

बडा़ खौफनाक होता है,

जिनके पास माँ बाप हैं,

वो खुश नसीब होता है.

Language: Hindi
362 Views
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