जिंदगी के अनमोल मोती
नूतनकालीन के दौड़ में
अखिल नर- नारी, मनुज
चंद उभय के लिए वह
बेच देते अपना आस्था
इन न्यून टका से उन्हें
क्या मिलता होगा ?
इस अतुल से हयात में
प्रायशः मनुष्य वचते
मिथ्या पर मिथ्या वो
इन से क्या मिलता ?
निज किंचित धन हेतु
कभी न बेचे अपना ईमान…
विचित्र से इस कलयुग में
कभी खुशी तो कभी गम
मिलती रहती जिंदगी में
चंद आमोद प्रमोद हेतु
कभी भी अनुभ्युदय के
डगर पर चलना हमें न
चाहिए इस जहांन में
इसका उच्छिष्ट ही सदा
होता आया अधम भव में
खुशी और गमे हयात के
यह दो अनमोल मोती है
सतत हंसकर जीते रहें…