जिंदगी की रफ़्तार – डी. के. निवातिया
बेवफा है किसी पर कभी एतबार नहीं करती,
बड़ी संगदिल है रहम या उपकार नहीं करती !
जिंदगी की रफ़्तार से कदम मिलाकर चलिए,
पीछे छूट जाने वालो का इंतजार नहीं करती !
पानी है अगर मंजिल कांटो से गुज़रना पड़ेगा,
जिंदगी अपने इम्तिहाँ में सरोकार नहीं करती !
सोच समझ कर करना समझौते जिंदगी संग,
बदला लेती जरूर है कभी उधार नहीं करती !
कब किस मौड़ से गुजरेगी कौन जानता है,
जिंदगी अपना सफर साझेदार नहीं करती !!
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स्वरचित मौलिक : डी. के. निवातिया