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20 Jun 2021 · 5 min read

जिंदगी की परीक्षा समय के साथ

आइए आज बात करते है जीवन की यात्रा के विषय मे/
मै अपने विचार और अनुभवो को आपके साथ साझा करने जा रहा हूँ |
जीवन सुख और दुख का योग हैँ | किसी क्षण दुख तो किसी क्षण सुख का अनुभव होता हैँ | कुछ समय हम कुछ समस्याओं मे फसे रहते है | तो कभी कुछ बातो मे उलझें हुए रहते हैँ | इन समस्याओ से उलझने मे बुद्धिमानी नहीं हैँ, बुद्धिमानी तो समस्या के समाधान ढूंढने मे हैँ | समय के साथ जीवन को कई राहो से गुजरना पड़ता हैँ इन राहो मे फूल होंगे या कांटे ये चुनने का अधिकार तो हमारे पास हैँ नहीं / हमतो केवल कर्म करके इन मार्गो पर चल सकते है|
किन्तु यह बात भी स्मरण रखने योग्य हैँ कि यदि हम किसी का अहित करते है तो काँटों भरे मार्ग मे चलना पड़ सकता हैँ,इसके दूसरे पहलू को देखे तो यह तथ्य भी उतना ही विचारणीय हैँ कि यदि हम किसी का हित करते है तो फूल भरे मार्ग मिलेंगे |

जीवन निश्चित ही सुख और दुख के योग का नाम हैँ | वर्तमान मे कोई दुखी हैँ तो यह याद रखे कि हर अँधेरे के बाद उजाला होता ही हैँ ठीक उसी प्रकार दुख के बादल ज्यादा दिनों तक नहीं रहते, इसके पश्चात सुख का आगमन निश्चित ही होता हैँ|

जीवन की यात्रा सुख या दुःख किसी एक के अभाव मे सम्भव नहीं हैँ,यह एक ही सिक्के के दो पहलूओ के समान हैँ | इस जीवन की यात्रा मे समय के साथ सुख और दुख दोनों का अनुभव होता हैँ |

ज़ब व्यक्ति सुखी रहता हैँ तो बहुत सारे लोगो से घिरा रहता है, किन्तु ज़ब वह दुःख मे होता हैँ तो वह अकेला हो जाता है केवल गिने चुने लोग दिखाई पड़ते हैँ उसके चारो ओर | यह जीवन का कटू सत्य हैँ |कभी बुरा वक़्त आता हैँ और सभी सुखो का अंत करदेता हैँ मानो एक बाढ़ सारी बस्ती उजाड़कर चला गया हो /
वही दूसरी ओर यह वक़्त करवट बदलकर एक ही पल मे जीवन को सुखो से भर देता हैँ |
इससे तो यह समझा जा सकता हैँ कि जीवन की यात्रा मे समय करवट बदलता रहता है |

जीवन की यात्रा उसके लिए कठिन हैँ जो समस्याओं मे उलझा रहता हैँ इसमें उलझने के स्थान पर इसे सुलझाने का प्रयास करना चाहिए | जिस प्रकार पतंग उड़ाता बालक अपनी पतंग को हवा के हवाले कर देता हैँ उसी प्रकार हमें अपना कर्म करके उसे परम् पिता परमेश्वर के हवाले कर देना चाहिए | बालक का ध्यान आसमान की ऊचाई को छूते पतंग पर केंद्रित रहता है इसी प्रकार हमें अपना ध्यान केवल कर्मो पर केंद्रित करना चाहिए | हवा की दिशा बदलते हीं बालक पतंग की डोर को खींचता है वैसे हीं हम परिस्थिति विपरीत होने पर स्वयं को पीछे खींचने लगते हैँ हमें इस स्थिति मे चिंता नहीं करनी हैँ, चिंता करने से समस्या का समाधान तो नहीं मिलेगा….? बल्कि हम उसमे और उलझते हीं चले जायेंगे | जीवन को हर क्षण जीकर इसका आनंद आनंद लेने मे हीं भलाई हैँ |
“जी लेंगे हम इस जीवन को कभी गम तो कभी खुशी के साथ”
इसी विचार से जीवन को जीना चाहिए |

जीवन की यात्रा तो कभी खट्टे, तो कभी मीठे फलो की भांति भी होती हैँ तो कभी यह चटपटी-सी इमली भी बन जाती हैँ | ज़ब जीवन का स्वाद खट्टा लगे तो समझ लेना अभी और प्रयास करना बाकी हैँ और हा… यदि स्वाद मीठा लगे तो सरल व्यक्तित्त्व बनाये रखना क्युकी अक्सर मीठे फलो मे कीड़े लगने की गुंजाइस बनी रहती हैँ | इससे समझ आता हैँ कि जीवन तो, ना ज्यादा खट्टा होता हैँ और ना हीं ज्यादा मीठा | यह तो इन दोनों का मिश्रण होता हैँ |
समस्याओं का बढ़ना कही ना कही हमारे व्यवहार और शरीर पर भी असर करता है | यदि हम इसका सामना करने मे असमर्थ हुए तो तनाव और चिड़-चिड़ेपन का कारण भी बन सकता हैँ | और अगर हमने जीवन जीने की कला सीख ली तो हम इन समस्याओ पर नियंत्रण लगा सकते है |

इसके साथ ही हमें किसी व्यक्ति के विषय मे, मन मे उत्पन्न बुरे विचारो पर नियंत्रण करना सीखना होगा | यदि बुरे विचार नहीं आएंगे तो किसी का बुरा होही नहीं पाएगा | इससे दूसरे भी और हम भी सुखी रहेंगे |

किसी व्यक्ति के साथ किया गया गलत व्यवहार, जीवन कि यात्रा को अत्यंत कठिन बना सकता हैँ | और कहा भी गया हैँ कि ” किसी सज्जन व्यक्ति के साथ किया गया छल, हमारी बर्बादी के सभी रास्तो को खोल देता हैँ ”
किन्तु व्यक्ति विशेष के विषय मे एक अच्छा विचार जीवन की यात्रा को सरल भी बना सकता हैँ |

जीवन को जीना तो पक्षियों से सीखना चाहिए वे बिना व्यर्थ चिंता के ऊंचे आसमान मे उड़ान भरते हैँ हमें भी बिना किसी चिंता के उस आसमान मे ऊँची उड़ान भरनी हैँ | ज़ब तक यह जीवन की यात्रा हैँ तब तक एक राहगीर बनकर हर क्षण का आनंद उठाते हुये आगे बढ़ते जाना हैँ |

आनंद तो मंजिल तक पहुंचने मे हैँ ही, किन्तु यदि मंजिल तक पहुंचने वाले राह मे भी आनंद ढूंढ़ लिया जाये तो मंजिल तक पहुंचने मे,खुशी दुगनी हो जाती हैँ |

इस यात्रा मे अनुभवो का बहुत अधिक महत्व होता हैँ यह हमारे राह को सरल कर सकती हैँ /बड़े बुजुर्ग इन राहो पर हमसे पहले चलकर कई अनुभव संजोये बैठे हैँ | बड़े बुजुर्गो के पास कुछ क्षण बिताकर यह अनुभव प्राप्त किया जा सकता हैँ यह अनुभव निश्चित ही हमारी यात्रा को सरल बना सकती हैँ |

गलती करने मे कोई बुराई नहीं हैँ इंसान तो गलतियों का पुतला होता है….. बुराई तो तब हैँ ज़ब वह बार-बार गलती करके भी कुछ सीख नहीं पाता / हमें हर गलतियों से सीखना चाहिए और उसे सुधारना चाहिए | हम हर एक सीख स्वयं गलती कर करके नहीं सीख सकते हैँ जीवन की यात्रा इतनी भी लम्बी नहीं हैँ कुछ चीजे हमें दुसरो से भी सीखनी होंगी |

जीवन की परीक्षा स्कूल की परीक्षा से कही अधिक कठिन होती हैँ | स्कूल की परीक्षा तो पहले सिखाती हैँ फिर परीक्षा लेती हैँ…. किन्तु जीवन की परीक्षा इतनी दयालु नहीं हैँ वह पहले परीक्षा लेती हैँ फिर सिखाती हैँ /…. मै भी कभी टॉपर हुआ करता था स्कूल के दिनों मे… लेकिन जीवन की परीक्षा मे तो कदम अक्सर डगमगा जाते हैँ सही हीं कहा गया है कि किताबी कीड़े, जीवन की परीक्षा से अक्सर घबरा जाते हैँ.. मै भी उन कीड़ो मे से एक हूँ………..

गुजरे एक दिन स्कूल के पास से तो उसने पूछा –
” मेरी परीक्षा से तो बड़ा खफा-खफा सा रहता था अब जिंदगी की परीक्षा मे तेरा क्या हाल है ”
हमने भी कहा हाल तो बेहाल हैँ यार.. तेरी परीक्षा मे एक अच्छाई थी कि तू बताकर परीक्षा लेता था लेकिन ये जिंदगी हर पल बिन बताये नई-नई परीक्षाओ से सामना कराती रहती हैँ | बिना तैयारी के देते हैँ परीक्षा… इसमें नंबरों का कोई रोल नहीं रहता / केवल पास या फेल ही होते है बस…….|
स्कूल की परीक्षा से तो बचा जा सकता था… लेकिन ए-जिंदगी तेरी परीक्षा से नहीं……/

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 3 Comments · 514 Views
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