जिंदगी का पहला कदम
जिंदगी का पहला कदम होता है
हमारा बचपन,
बचपन में हम सभी को लगते हैं इतने सुंदर,
हर कोई कहता है हमारा मन है भगवान का मंदिर।
नहीं होता हमें जिंदगी में किसी का भी डर,
क्योंकि बचपन होता है बेइंतेहा खुशियों का घर।
एक पल भी यदि हम रो दें,
तो सारा आलम हमें हंसने को बोले ।
बचपन में हम आपस में मिलकर करते हैं जो नादानियां ,
बड़े होने पर बन जाती हैं वह हमारे हंसने की कहानियां।
बचपन में हमारी शरारते लगती हैं सबको प्यारी, तभी तो मैया यशोदा नंद लाल के सामने हारी।
क्यों चला जाता है बचपन हमारे हाथ से ,
क्यों नहीं जी सकते हम आज भी बचपन वाले अंदाज में।