** जिंदगी कब मुस्कुराई **
** जिंदगी कब मुस्कुराई **
* संदेश गीत *
ऐ जिंदगी कब मुस्कुराई पता ना चला,
पहुँच गये कहाँ से कहा पता ना चला || टेक||
खेल बचपन के हम न भूले,
अमवा की डाली कदम के झुले |
कैसा बिता बचपन पता ना चला ||1||
जवानी ने अपना रंग दिखाई,
मातपिता ने जल्दी करदी सगाई |
बन गया पिता कैसे पता ना चला ||2||
जिम्मेदारीयों का बोझ ढ़ोते रहा,
आरजूएं सबकी पूरी करते रहा |
आया कब बुढ़ापा पता ना चला ||3||
ना कोई ख्वाहिश ना कोई चाहत,
बुझे हुए दिल को कैसे मिले राहत |
जिंदगी की शाम आ गई पता ना चला ||4||
ऐ जिंदगी कब मुस्कुराई पता ना चला||