Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2023 · 1 min read

जिंदगी और स्वाद

जिंदगी जेठा लाल सी हो गई है
एक मुसीबत जाती नही दुसरी आती है

नट्टू काका की तरह ए सवालों में उलझाती है
समझा समझा कर ए जिंदगी बड़ा उलझाती है

जेठा लाल बन कर हर परेशानी को सुलझा देगे
तारक मेहता के जैसा दोस्त हो हर गम भगा देगे

एक ऑडर आया तो बागा को लिखवाया
ऑडर पहुंचाने का जिम्मा उसने उठाया

जिंदगी की रोज नई नई कहानियां ए बनाती है
तारक मेहता का उल्टा चश्मा में एपिसोड दिखाती है

हर दिन जेठा लाल की तरह परेशानी आती है
खामोश जिंदगी में तहलका मचा कर जाती है

टूट कर बिखरने वाला होता हूं चंपक लाल की याद आती है
जीवन की हर मुश्किल घड़ी के बाद कुछ तो खुशियां आती है

हमारी जिंदगी गर्म चाय की तरह उबाल खाती है
दूसरो को स्वाद तो खुद को आग में जलाती है..

Language: Hindi
185 Views

You may also like these posts

"प्यार में तेरे "
Pushpraj Anant
🙅व्यूज़ की पाठशाला🙅
🙅व्यूज़ की पाठशाला🙅
*प्रणय*
नजरें नीची लाज की,
नजरें नीची लाज की,
sushil sarna
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
Faith in God
Faith in God
Poonam Sharma
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।
ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।
Neelofar Khan
*पिता*...
*पिता*...
Harminder Kaur
नववर्ष का सम्मान
नववर्ष का सम्मान
Sudhir srivastava
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
चेहरा
चेहरा
MEENU SHARMA
वह है बहन।
वह है बहन।
Satish Srijan
"कलियुगी-इंसान!"
Prabhudayal Raniwal
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
माँ मुझे विश्राम दे
माँ मुझे विश्राम दे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
श्री राम अमृतधुन भजन
श्री राम अमृतधुन भजन
Khaimsingh Saini
मुक्तक
मुक्तक
surenderpal vaidya
3790.💐 *पूर्णिका* 💐
3790.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
Vishal Prajapati
*न्याय : आठ दोहे*
*न्याय : आठ दोहे*
Ravi Prakash
राधा अष्टमी पर कविता
राधा अष्टमी पर कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
तुम्हारी चाय
तुम्हारी चाय
Dr. Rajeev Jain
#वो अजनबी#
#वो अजनबी#
Madhavi Srivastava
प्यार वो नहीं है जो सिर्फ़ आपके लिए ही हो!
प्यार वो नहीं है जो सिर्फ़ आपके लिए ही हो!
Ajit Kumar "Karn"
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
धन ..... एक जरूरत
धन ..... एक जरूरत
Neeraj Agarwal
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
ओनिका सेतिया 'अनु '
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
**रक्षा सूत्र का प्रण**
**रक्षा सूत्र का प्रण**
Dr Mukesh 'Aseemit'
Loading...