जिंदगी एक सफर
जिंदगी एक सफर किसको क्या है पता,
हार जाता वही जो ना हो फिर खड़ा !!
हमने दिल की सुनी और किसी की नहीं,
गर मंजिल न मिली तो न हो तुम दुखी!!
भला इसको मिटाने से क्या फायदा,
जिंदगी एक सफर किसको क्या है पता!!
अकेले आये यहाँ अकेले जाना वहाँ,
मैं जहां भी चला बस अकेला चला!!
ना हार मानी कभी ना ही मानूँगा,
बस चलते रहो है रुकना मना!!
जग ने ताने दिये घाव काम न दिये,
हम थे भोले बहुत और सताए हुए!!
ना उठाया कभी कोई कदम उल्टा,
आगे बढ़ते रहे सर उठाकर यहां!!
जिंदगी एक सफर किसको क्या है पता,
हार जाता वही जो ना हो फिर खड़ा!!
✍️✍️Kavi Dheerendra Panchal