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3 Jan 2019 · 1 min read

जिंदगी अब तेरा ये कहर ही सही।

जिंदगी अब तेरा ये कहर ही सही।
हर कदम दर कदम ये सफर ही सही।।

कुछ न बाकी रहे तुम दिखा दो अगर।
मेरे महबूब को इक नजर ही सही।।

यार कुछ तो बताओ हमें भी जरा।
वो न है तो उसकी खबर ही सही।।

हम सिसकते नहीं ज़ख्म खाकर कभी।
ज़ख्म खाना हमारा हुनर ही सही।।

आज तक ही किया हमने महसूस पर।
देख पाए न इतनी कसर ही सही।।

कल गुलों की तरह ही ये हो जाएगी।
आज कांटों भरी ये डगर ही सही।।

कर सकेंगे नहीं यूं मना आपको।
आप चाहे तो दे दें जहर ही सही।।

कवि गोपाल पाठक “कृष्णा”
बरेली (उत्तर प्रदेश)

1 Like · 249 Views
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