जा रहा हु…
जा रहा हूं
आया था कुछ सीखने
सिख के जा रहा हूं
नई साथी के तलाश
नई उम्मीद के आश मे l
तूने बहुत कुछ दिया है मुझे
मैं तेरा कर्ज कैसे चुकाउंगा
समय मिले तो याद कर लेना
चेहरे पर मुस्कान बन जावुगा
मुश्किलों में साथ दिया आपने
गिरते हुए को हाथ दिया आपने
मुझ जैसे नासमझ को बहुत
कुछ सिखा दिया आपने
तेरा मेरा साथ यही तक है
दोनों का राज यही तक है
मेरे हर राज की गहराई में
हमेशा डूब के रह जाऊंगा
मिले तो सुख दुःख बता देना
हाथ मिलाके अपना लेना
जहग छोड़ के जा रहा हु
जहा छोड़ के नहीं l
रंजीत कुमार पात्रे
कोटा बिलासपुर छत्तीसगढ़