जा चला जा दिसंबर….
जा चला जा ए दिसंबर
ले जा उदासियां हमारी
आ जा ए जनवरी
तू ले आ खुशियां सारी।
न हो किसी की भी आंखे नम कभी
हो बस हंसी की किलकारी
सभी गमों को अलविदा कह दो सब एक बारी।
न कोई दुखी हो, न हो कहीं भी
कष्ट और बीमारी
खिले हर घर में प्यार की फुलवारी।
न दिखें मुरझाए चेहरे, उदास नज़रे और लाचारी
न कोई बेटी ले जाए कोई दुराचारी।
सभ्य समाज हो और हर जन हो परोपकारी।
ऐसे काम करें हम जो हो सबके लिए हितकारी।