जाड़ों की बरसातों ने
राहों में खामोशी भर दी ,
जाड़ों की बरसातों ने।
उथल पुथल कर रख दी दिल में,
यादों की बारातों ने।
नफ़रत ने भी मुझको शायद,
इतना ना तड़पाया होता,
जितना दर्द दिया है तेरी,
प्यार भरी सौगातों ने।।
संजय नारायण
राहों में खामोशी भर दी ,
जाड़ों की बरसातों ने।
उथल पुथल कर रख दी दिल में,
यादों की बारातों ने।
नफ़रत ने भी मुझको शायद,
इतना ना तड़पाया होता,
जितना दर्द दिया है तेरी,
प्यार भरी सौगातों ने।।
संजय नारायण