जासूस दोस्त
बचपन की कितनी भी छोटी सी बात हो
मीठी होती हैं यादें जो भी हालात हो
मिट्टी में गिरते झट पट उठ जाते थे
जासूस दोस्त देखते दिन भर चिढ़ाते थे
रेन कोट पहन बारिश का इंतजार
दोस्तों के छातों में बरसता था प्यार
हैसियत नहीं छोटे से मुक्के का रौब था
दोस्तों को बचाना सबसे बड़ा जॉब था
दुनियाँ के जन्मदिन गुल्लक मनाती थी
हमें खुशियाँ देती खुद टूट जाती थी
झगड़े पर गिफ्ट भले ही लौटाते थे
पर अगली शाम खेलने फिर आजाते थे
रेस हारने जीतने पर रोज़ होती तकरार
लेकिन नहीं बदलता था अपनापन व्यवहार
बचपन की कितनी भी छोटी सी बात हो
मीठी होती हैं यादें जो भी हालात हो ,,,,
– क्षमा उर्मिला