‘ जासूसी ‘
आजकल…
अजीब सी घबराहट
दिमाग से उतर कर
पूरे शरीर में घूमती
और मैं…
हैरान – परेशान
अपने आप से पूछती
की ये कौन है ?
जो बिना पूछे
इधर – उधर
घूम रहा है
मेरे सारे अंगों से
चुपके – चुपके
मेरे ही दिल का पता
पूछ रहा है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/03/1992 )