जाले
बंद कमरों में
नहीं
यहां तो बसे हुए घरों के
कमरों में जाले लग रहे हैं
आंखों पर पर्दे पड़े हैं
दिल के दरवाजों पर ताले
लग रहे हैं
जिन्दा हैं सब
सांस ले रहे हैं पर
इन सबकी मरी हुई
आत्माओं की
लाशों के कब्रिस्तान के
प्रवेश द्वार पर
अंदर न जाने के
पहरे लग चुके हैं
इनकी सोच पर जाले
लग चुके हैं
इस घुटी हुई
संकीर्ण मानसिकता से
बाहर निकलकर आने के
सारे रास्तों पर
इन्हें अपनी ही कैद में
वापिस धकेलने के
हर कदम पर
जगह जगह
नुकीले भाले लग चुके हैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001