जायका
जायका खाने का ही नहीं
शब्दों का भी होता है जनाब
इसलिए शब्दों को ………
पहले खुद चख लिया करो
फिर दुसरो को परोसा करो
जो स्वाद खुद को ना भाता हो
जिसमें जलने की बदबू आती हो
तड़का चापलूसी का लगा हो
मतलब की हल्दी पड़ी हो
दिल दुखाने की धनिया मिला हो
और स्वार्थ के तेल से पका हो
नफ़रत की प्लेट में परोसा हो
जिसे खाने पर मिजाज बिगड़ जाएं
बात बनने बनते ही रह जाएं
बस थोड़ा सा प्यार का पानी चढ़ाना
दुआओं की चासनी तुम बनाना
भरोसे की चायपत्ती मिलाना
अदरक की तरह कटुता कूट देना
और जी भर के खाना
बस अपनेपन का दूध मिलाना
बस एक कप चाय तुम पिलाना
देखना रिश्ता कैसे खलखिलाएगा
चाय के संग, सब कुछ सुलझ जायेगा
दीपाली कालरा