जायका
तेरे हाथों से बने शाक का हम ,
खुशबू वो जायका नही भूले ।
मीलों लंबी दूरियों के दरमियां ,
दिल का मायका नही भूले ।।
हूँ परदेश में , यंहा घर जैसा वो स्वाद कँहा,
आदत में शामिल लेना मगर , हम रायता नही भूले।
जी रहे हैं हम आपकी सलामती के यकीं पर,
तेरी नसीहत , तेरा वो कायदा नही भूले।
थकना नही जिंदगी के इस भाग – दौड़ में हमें ,
नुकसान की फिक्र किसे , मगर हम वो फायदा नही भूले।
तेरे हाथों से बने शाक का हम, वो जायका नही भूले।
..✍️देवेन्द्र