जाम में जिस्म ढल गया होगा।
जाम में जिस्म ढल गया होगा।
वह भी पीकर उछल गया होगा।
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देखकर जिस्म के नशेबो फराज़।
दिल सभी का मचल गया होगा।
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उसकी आंखें गजाला जैसी है।
देख कर दिल बदल गया होगा।
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हुस्न है उसका एक नगीना सा।
संग दिल भी पिघल गया होगा।
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कोई तारा नहीं शबाहत में ।
चांद छूकर निकल गया होगा ।
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पढ़ लिया होगा जब ग़ज़ल मेरी।
दिल ए मुज्तर संभल गया होगा।
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सगीर आएगा जब वह परदेसी ،
जाने कितना बदल गया होगा।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाजार बहराइच यूपी इंडिया