जाम पीना आ गया
**जाम पीना आ गया (ग़ज़ल) **
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सर्द रात में भी पसीना आ गया।
बड़े रंज में जाम पीना आ गया।
जहाँ मौज भरती सदा से हाज़िरी,
सप्त रंग वाला महीना आ गया।
कद्रदान भी चाकरी करते रहे,
मक्के पास वाला मदीना आ गया।
दर्जनों मुसीबत सहन की है यहाँ,
चमकदार शाही नगीना आ गया।
शर्मशार हो यार मनसीरत चला,
असरदार मुझको करीना आ गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)