जाम जोबन के
** जाम जोबन के (ग़ज़ल)**
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वक्त रहते प्रिय आ गए होते,
चार फेरे मन भा गए होते।
प्यार हीरा अनमोल है समझो,
मोल तो कुछ हम पा गए होते।
गोद साजन की सेज जो होती,
यार हिय में गर छा गए होते।
सुर्ख़ होठों को चूमते हम ही,
जाम जोबन के ला गए होते।
दौर गर्दिश के ही मिले हमको,
गीत यौवन के गा गए होते।
खा कसम मनसीरत निभाई है,
नैन आँसू झलका गए होते।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)