जान हो तुम …
सुबह का पहला और रात का आख़िरी ख़याल हो तुम,
मेरे जेहन में जो हर बार आता है, वो सवाल हो तुम,
मेरे लिए एक भी तुम और हज़ार हो तुम ।
इस नफ़रत भरी दुनिया में मेरा प्यार हो तुम ।
मेरी गीता भी हो और क़ुरान हो तुम ।
एक शब्द में कहूँ तो मेरी ‘जान’ हो तुम ।।
— सूर्या