जान बैठे है
जान बैठे है,
हाँ ,
जान बैठे है
अब हर कड़ियां
और तल्ख़ियां
जान बैठे है
कि गिरकर अब नीचे
ऊपर देखा नहीं जाता
आंखों में दर्द है
पलकें झुकाए बैठें है।
शिवम राव मणि
जान बैठे है,
हाँ ,
जान बैठे है
अब हर कड़ियां
और तल्ख़ियां
जान बैठे है
कि गिरकर अब नीचे
ऊपर देखा नहीं जाता
आंखों में दर्द है
पलकें झुकाए बैठें है।
शिवम राव मणि