जान पर आज है ठनी देखो
जान पर आज है ठनी देखो
बात बिगड़ी नहीं बनी देखो
दौड़ते जा रहे हैं लोग कहाँ
क्यूँ नगर में है सनसनी देखो
उनका आना हुआ बहुत मुश्क़िल
तेज़ बारिश है अब घनी देखो
प्यार जिनका मिसाल था अब तक
उनमें है अब तनातनी देखो
कल तलक दोस्त एक दूजे के
आज दोनों में दुश्मनी देखो
अपनी रोटी ग़रीब ने बांटी
उसके जैसा नहीं धनी देखो
बाद में दोस्त भी बना लेंगे
उसके है पास क्या मनी देखो
बेसबब ही मज़ाक सब करते
आजकल लोग हैं फनी देखो
रब ने दौलत जो प्यार की दे दी
फ़िर से ‘आनन्द’ है गनी देखो
शब्दार्थ:- गनी = धनी/अमीर )
– डॉ आनन्द किशोर