जाने वाले लौट आ…
इधर-उधर किस तरफ,
देखूँ तुझको मेरे मीत ।
कानों में बस गूँज रहा,
तेरे ही नाम का गीत ।।
देख रहा हूँ कब से,
कहाँ चले गए तुम,
छोड़ कर बीच राह ।
एक पल भी लगता,
जैसे गुजरे साल माह ।।
वो खुशियों के लम्हें,
पुकार रहें है आज ।
बिन तेरे कौन कहेगा,
इस जग को सरताज ।।
जग ने जग की भीड़ से,
जब लिया तुझको थाम ।
कैसे फिर मिट सकता,
जो लिखा है तेरा नाम ।।
ओ जाने वाले लौट आ,
सूनी-सूनी लगती शाम ।
रूठ गयी मुझसे मुस्कान,
पूछ रहीं है तेरा मुकाम ।।
फीके लगते हर मिष्ठान,
चला गया संग तेरे स्वाद ।
यह मन भी करने लगा,
खुद से खुद का विवाद ।।
आजा मेरी मनभावन ऋतु,
तुझसे ही खिलते फूल ।
अश्क बह चुके बनकर सावन,
चुभ रहें है जुदाई के शूल ।।
ओ जाने वाले लौट आ…
—–जेपीएल