जाने क्यों
जाने क्यों
एक क्यारी में
अनेक हैं पेड़-पौधे
अलग-अलग हैं
जिनकी नस्ल
अलग-अलग हैं गुण
अलग-अलग हैं रंग-रूप
फिर भी
नहीं करते नफरत
एक-दूसरे से
नहीं है इनमें
भेदभाव की भावना
नहीं मानते किसी को
छोटा या बड़ा
नहीं है इनमें रंग-भेद
हवा की धुन पर
थिरकते हैं सब
एक लय में
एक ताल में
खिल जाते हैं
सबके चेहरे
बरसात में
कितना है सदभाव
नहीं लेता सीख
इंसान इनसे
जाने क्यों?
-विनोद सिल्ला©