जाने क्या वो जाने वाला दे गया
सम्बन्धों का फिर हवाला दे गया
वक्त़ दरवाजों पे ताला दे गया
जुल्फें खुली,हैं आँख नम,खामोश लब
जाने क्या वो जाने वाला दे गया
मजहबी उन्माद हाथों में मिरे
संग मस्जिद के शिवाला दे गया
शेक्सपीयर,कीट्स न दे पाए जो
सूर,तुलसी और निराला दे गया
जागी मंजिल पाने की जब से तड़प
रास्ता पैरों में छाला दे गया
पाँच सालों बाद वो आया मगर
मात्र जुमलों का निवाला दे गया
जब घिरा’संजय’अँधेरी रात से
कोई यादों का उजाला दे गया