जाने क्या छुटा रहा मुझसे
जाने क्या छूट रहा मुझसे !
इस भाग दौड़ की दुनियाँ में,
कुछ अपने छूट रहे है मुझसे।
कुछ रिश्ते टूट रहे है मुझसे।।
जाने क्या छूट रहा है मुझसे!
बचपन छुटा नादानी में,
जवानी बीती भागा भागी में।
जाने क्या छूट रहा है हमसे!
जीवन बीता जाता है।
सब कुछ हाथ से छुटा जाता है।
कोई अपना रूठ जाता है ।।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा, उप