जाने कौन
जाने कौन बनाता बादल
इनमें पानी भरता कौन।
बिजली इनमें कहां से आती
गड़गड़ गड़गड़ करता कौन।
कौन जो सागर के पानी में
इतना सारा नमक घोलता।
कोई तो होगा बोलो जो
इन लहरो के साथ डोलता।।
कौन है जो जंगल में इतने
ऊंचे ऊंचे पेड़ लगाता।
क्या सूझी होगी उसको जो
नदियाँ उनके बीच बहाता।
सच बतलाना कोई तो है
जो प्राणों को वायु देता है।
होठों को मुस्कान बांटता
पल भर में दुख हर लेता है।।
विजय बेशर्म