Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2023 · 1 min read

*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*

जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल
साबुन आधा रह गया , कर के इस्तेमाल
कर के इस्तेमाल , खाल की हालत अखरी
रंग वही बेहाल , नहीं हालत कुछ सुधरी
कहते रवि कविराय , भेद है अंदरखाने
बाहर दिखे गुलाल , छुपा अंदर क्या जाने
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451

210 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Angelika Wartina
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
शेखर सिंह
खून के छींटे है पथ्थरो में
खून के छींटे है पथ्थरो में
sushil yadav
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
डॉ.सीमा अग्रवाल
वसंत की बहार।
वसंत की बहार।
Anil Mishra Prahari
पहली मुलाकात ❤️
पहली मुलाकात ❤️
Vivek Sharma Visha
तुम हो
तुम हो
Jalaj Dwivedi
गुत्थियों का हल आसान नही .....
गुत्थियों का हल आसान नही .....
Rohit yadav
यौवन का चिन्तन करती
यौवन का चिन्तन करती
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
306.*पूर्णिका*
306.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सपनों का व्यापार है दुनिया
सपनों का व्यापार है दुनिया
Harinarayan Tanha
मुखौटा!
मुखौटा!
कविता झा ‘गीत’
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*प्रस्तावना*
*प्रस्तावना*
Ravi Prakash
धड़कनों में प्यार का संचार है ।
धड़कनों में प्यार का संचार है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
श्री अन्न : पैदावार मिलेट्स की
श्री अन्न : पैदावार मिलेट्स की
ललकार भारद्वाज
इरशा
इरशा
ओंकार मिश्र
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
ओनिका सेतिया 'अनु '
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
■ एक मार्मिक तस्वीर पर मेरा एक तात्कालिक शेर :--
■ एक मार्मिक तस्वीर पर मेरा एक तात्कालिक शेर :--
*प्रणय*
बिन तिरे इक कमी रही बरसों - संदीप ठाकुर
बिन तिरे इक कमी रही बरसों - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
परिस्थिति से भागने के बजाय उसे जानने में हमें उत्सुक होना चा
परिस्थिति से भागने के बजाय उसे जानने में हमें उत्सुक होना चा
Ravikesh Jha
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
आशा का दीप
आशा का दीप
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
तेरा ग़म
तेरा ग़म
Dipak Kumar "Girja"
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
- Your family doesn't know how much difficulties and pressur
- Your family doesn't know how much difficulties and pressur
पूर्वार्थ
"गम की शाम"
Dr. Kishan tandon kranti
कहा जाता है
कहा जाता है
हिमांशु Kulshrestha
Loading...