*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*
जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)
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जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल
साबुन आधा रह गया , कर के इस्तेमाल
कर के इस्तेमाल , खाल की हालत अखरी
रंग वही बेहाल , नहीं हालत कुछ सुधरी
कहते रवि कविराय , भेद है अंदरखाने
बाहर दिखे गुलाल , छुपा अंदर क्या जाने
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451