जाने कैसा दिन लेकर यह आया है परिवर्तन
जाने कैसा दिन लेकर यह आया है परिवर्तन!
छप्पर लोग उठाने खातिर आ जाते थे द्वारे,
मदद एक-दूजे की करने को तत्पर थे सारे।
शादी में पाहुन को पहले सभी खिलाते खाना,
फिर जाता था गाँव-नगर के लोगों के मुँह दाना।
अब तो कहीं नहीं दिखता है अपनो सा अपनापन।
जाने कैसा दिन लेकर यह आया है परिवर्तन!
भूल गए हैं ओल्हा-पाँती और पेड़ के झूले,
ठाढ़ी-चिक्का और कबड्डी, गुल्ली-डंडा भूले।
खेल कूद जीवन में हो तो सेहत अच्छी होगी,
मोबाइल में खेल रहे जो बनते जाते रोगी।
बचपन में ही आँखों पर छाने लगता धुँधलापन।
जाने कैसा दिन लेकर यह आया है परिवर्तन!
पहले लोग हुआ करते थे धैर्यवान, बलशाली,
अबके लोग दिखावा करते अंदर से हैं खाली।
कोदो, मड़ुआ, बजड़ी, टागुँन, मकई को बिसरा के,
सेहत गिरता जाता है अब पिज़्ज़ा बर्गर खा के।
रोग सैकड़ों रोज बढ़ाते चेहरे का फीकापन।
जाने कैसा दिन लेकर यह आया है परिवर्तन!
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 04/05/2022