जाने की जल्दी,मुक्तक,
लाक डाउन के समय अप्रैल, मई सन 2020
हमको तो बस घर जाना है, हो कितनी भी दूर,
पैदल ही हम चले जाँयगे, हम तो हैं मजबूर |
शासन कहता करें व्यवस्था, भेजें रेल, बसों से,
लेकिन उनको जल्दी इतनी, माने ना मजदूर |
बीबी बच्चे साथ आपके, बहुत दूर जाना है,
पैदल कैसे चल सकते हो, झंझट भी नाना हैं |
पन्द्रह सौ मीलों की दूरी, मानो बहुत कठिन है,
शासन कहता हम भेजेंगे, धीरज रख पाना है |
दस बारह दिन बाद चले जो, पंहुचे वही ठिकाने,
केरल, कर्नाटक से आये, जो भी कहना माने |
अपने अपने राज्य पँहुच कर,बस से पंहुचे घर तक,
खाना, पीना मुफ्त रहा है, नहीं रहे अनजाने |