जाने कहां गई वो बातें
तीन मनः स्थिति पर एक प्रयास।
गीत
जाने कहाँ गई वो बातें,कहाँ गई वो रातें
ढूंढ रहा है मन का जुगनू, हर आँगन चौबारे
कसौटी पर हम भी तुम भी, और दुनिया ये सारी
दीप शिखा से जले यहाँ पर, क्या पंडित क्या कारी
आ भी जाओ गाँवन अपने, ताऊ चचा पुकारे
ढूंढ रहा है मन का जुगनू, हर आँगन चौबारे
रात रात भर घूमे शहरन, गुटका पान चबाई
कार-बाइक पर चले नौकरी, देखो तो हरजाई
मत पूछो क्या हाल दिलों का, क्या होली हुल्लारे
ढूंढ रहा है मन का जुगनू, हर आँगन चौबारे
देख रोशनी लैपटॉप की, सपने भी उड़ जाते
यूँ ढला अब आँख का सूरज, टप टप टप बरसातें
बचपन, यौवन और बुढापा, सब किस्मत के मारे
ढूंढ रहा है मन का जुगनू, हर आँगन चौबारे।।
सूर्यकान्त