हाइकु
देखो बाबू जी
पाँच सात पाँच का
ये जादू जी
सोच न पाया
जीवन मोहमाया
जग पराया
सोच विचार
तू कई-कई बार
मान न हार
इन्टरनेट
रखता है हमको
अप टू डेट
कब आशाएँ
बदलती हैं यारो
परिभाषाएँ
फूल-सा तन
हरा-भरा यौवन
बहके मन
काली घटाएँ
जब भी घिर आएँ
हमें लुभाएँ
कब से मौन
हृदय के भीतर
छिपा है कौन
खूब सताया
तेरी यादों ने आकर
खूब रुलाया
हम बेहाल
चली फिर आपने
गहरी चाल
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