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7 Dec 2019 · 1 min read

जानता हूं मैं

जीवन के कठिन रस्तों पे चलना जानता हूं मैं
मुझे गिरने की न चिंता संभलना जानता हूं मैं
चाहे गम हो या खुशियां मुझे न फर्क कोई है
समय के सारे सांचों में ढ़लना जानता हूं मैं
मुझे इस देश के परवाज का पूरा अंदाजा है
इस माटी को माथे पर मलना जानता हूं मैं
भले ही शौक से लोगों पत्थर मुझे कह दो
किसी को देखके रोता पिघलना जानता हूं मैं
मैं करता हूं जो वादा तो फिर पीछे नहीं हटता
न मुकरना और ना ही बदलना जानता हूं मैं
न मैं इश्क करता हूं न आशिक हूं किसी का मैं
मोहब्बत में चिरागों सा मगर जलना जानता हूं मैं
भले ही मार दो मुझको मिटा डालो मेरी हस्ती
मगर फिर अंकुरित होकर के फलना जानता हूं मैं

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: गीत
211 Views
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