जादू-टोना
अमन के घर में तूफान बरपा हो चला था। हुआ यूं जब अमन अलमारी से कपड़े निकाल रहा था, उसको एक पेड़ की टहनी रखी नजर आई। अमन ने यह सब अपनी अम्मी को दिखाया। फिर तो मानो घर में कयामत बरपा हो गई थी। इतने में पड़ोस वाली ताई ने यह बात सुनी तो मानो एक तूफान सा गया था। शोर-शराबा सुनकर आस-पड़ोस की और भी कुछ औरतें घर में आ चुकी थी। अब तो चर्चा यही था कि यह किसी दुश्मन की चाल है, उसी ने लकड़ी पर कुछ कराया है।
यह सब बात चल ही रही थी, इस बीच एक दादी लेबिल की महिला ने किसी मौलाना का ज़िक्र किया। बताया कि वह मौलाना बहुत पहुंचे हुए हैं और उनके पास सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। इसके बाद अमन की अम्मी-पापा उन दादी अम्मा के साथ मौलाना के ठिकाने पर पहुंच गए। उन्होंने घर में निकली हुई हरी लकड़ी मौलाना साहब को दिखाई। कुछ पढ़ने-फूंकने के बाद मौलाना साहब नतीजे पर पहुंच चुके थे। उनका कहना था कि आप लोग अब तक जिंदा कैसे बचे रहे? यह सब आपके किसी जानी दुश्मन का किया-धरा है।
इतना सुनकर अमन की अम्मी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। ज़हन में तमाम ऐसे पड़ोसियों-रिश्तेदारों के नाम आने लगे जिनसे उनकी बनती नहीं थी। सोचने लगी जरूर किसी ने हमारी कामयाबी से जलकर यह काम किया है। सोच-विचार के बीच दादी लेबिल की औरत ने मौलाना साहब से इस किए-धरे के काट का तरीका जानना चाहा।
काट करने के लिए मौलाना साहब ने 11 हजार रुपए का सामान मंगाया। घर से बरामद लकड़ी का उतारा करने के बाद उसको कमर बराबर गड्ढे में दफनाने का हुक्म दिया। इस काम को हुए अभी एक दिन ही गुज़रा था, अमन के बड़े भाई का दिल्ली से फोन आया। उन्होंने अम्मी को बताया कि अलमारी से कपड़े निकालते वक्त मेरे हाथ में एक गुलाब की टहनी थी। वो जल्दबाजी में अलमारी में रखी रह गई, उसको निकालकर क्यारी में लगा देना। उस एक फोन ने जहनों पर पड़े सभी पर्दे हटा दिए थे।
© अरशद रसूल