जादूगरी आपकी
इश्क है या है जादूगरी आपकी।
इस कदर दिल में सूरत बसी आपकी।।
दौलते हुश्न पर तिल ये दरबान सा।
या खुदा खूब कारीगरी आपकी।।
धूप में यूँ अचानक ये काली घटा।
खुल गयी जुल्फ शायद अभी आपकी।।
हाल ए दिल कहने का ये हुनर खूब है।
सब बयां कर रही शाइरी आपकी।।
गर गुनहगार हूँ तुम मुझे दो सजा।
सह न पायेगा दिल बेरुखी आपकी।।
कर ही बैठे कहीं दिल न कोई ख़ता।
हद से बढ़ने लगी आशिकी आपकी।।
जब मिली पंछी की चोंच से चोंच तो।
देखकर याद तब आ गयी आपकी।।
मैं इधर तुम उधर कुछ न मिलती खबर।
कट रही कैसी अब जिंदगी आपकी।।
बाकी रब की कृपा से तो सब ठीक है।
बस रही जिंदगी में कमी आपकी।।
छेड़ देती है दिल के सभी तार को।
ज्योति बेहद मधुर गायिकी आपकी।।
✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव