Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2021 · 1 min read

जाति मजहब जिंदगी में भाव मत दीं

जाति, मजहब जिंदगी में, भाव मत दीं।
बाति जब नफरत क होखे, चाव मत दीं।
तीर शब्दन के बहुत ही, दर्द देला-
शब्द के मरहम लगाईं, घाव मत दीं।

भजि लऽ हरि के नाम।
बनि जाई सब काम।
सुबह सबेरे रोज-
बोलऽ सीताराम।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Bhojpuri
277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
जनता
जनता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
डर अंधेरों से नही अपने बुरे कर्मों से पैदा होता है।
डर अंधेरों से नही अपने बुरे कर्मों से पैदा होता है।
Rj Anand Prajapati
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
Neeraj Agarwal
माटी करे पुकार 🙏🙏
माटी करे पुकार 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
VINOD CHAUHAN
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
singh kunwar sarvendra vikram
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक " जिंदगी के मोड़ पर " : एक अध्ययन
Ravi Prakash
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
4138.💐 *पूर्णिका* 💐
4138.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" सूत्र "
Dr. Kishan tandon kranti
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
Kshma Urmila
बकरा नदी अररिया में
बकरा नदी अररिया में
Dhirendra Singh
कमी नहीं
कमी नहीं
Dr fauzia Naseem shad
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
🙅एक सलाह🙅
🙅एक सलाह🙅
*प्रणय*
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
Arvind trivedi
हाथ थाम लो मेरा
हाथ थाम लो मेरा
Dr. Rajeev Jain
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई है
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सृजन
सृजन
Bodhisatva kastooriya
[ ख़ुद पर तुम विश्वास रखो ]
[ ख़ुद पर तुम विश्वास रखो ]
नयनतारा
गीत
गीत
Shiva Awasthi
Loading...