जाति-मजहब और देश
हमारे ज़ेहन में वो दर्द कितने बो गए टुकड़े
न लौटे आजतक वापस जिगर के जो गए टुकड़े
खड़ी दीवार मत करना यहाँ तुम जाति-मज़हब की
इसी कारण कभी इस देश के थे हो गए टुकड़े
– आकाश महेशपुरी
दिनांक -15/11/2024
हमारे ज़ेहन में वो दर्द कितने बो गए टुकड़े
न लौटे आजतक वापस जिगर के जो गए टुकड़े
खड़ी दीवार मत करना यहाँ तुम जाति-मज़हब की
इसी कारण कभी इस देश के थे हो गए टुकड़े
– आकाश महेशपुरी
दिनांक -15/11/2024