जातियों में बँटा हुआ देश
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/dd9d5be83233569ab0aa2d7cbe1d3c71_369db70c46b2904aac587d3cc775a87f_600.jpg)
जातियों में बँटा हुआ देश
गठ्ठर से अलग हुई
उन लकड़ियों जैसा है
जिन्हें कोई भी चाहे
तब तोड़ सकता है
बिना किसी परेशानी के ।
लेकिन हरेक लकड़ी को गुमान है
अपनी-अपनी ताकत पर
नहीं याद रहा उसे अपने पूर्वजों का इतिहास
जिन्हें गठ्ठर से अलग हो जाने के बाद
तोड़ दिया गया था
एक-एक करके ।
मैं देख रहा हूँ आने वाला गृह युद्ध
जो तबाह कर देगा
लकड़ियों के अहंकार को
और साथ ही साथ उनके अस्तित्व को
यहाँ नज़र आयेंगे तो सिर्फ़ और सिर्फ़
गठ्ठर से बिखरी हुई लकड़ियों के
टूटे और जले हुए अवशेष ।
— सूर्या