जाता कहां है
दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
जफादारों का जनाजा-ए-वफा, जाता कहां है।
तेरा गुरूर समाया है इस क़दर दिल में मौला
सूरूर चढ़कर तेरा सवाली पर, जाता कहां है।
हर घड़ी जुस्तजू और पाने की चाहत तेरी
दिल पर छाया जो तेरा असर, जाता कहां है।
ये जो हसरत है तेरी कि मुड़ कर देखूं न तुझे
तेरी हुस्न की चोखट से, जिगर जाता कहां है।
हम तो ‘नीलम’ रास आएं न आएं तुम्हारी किस्मत
हो असर अच्छा या बुरा, जल्दी से जाता कहां है।
नीलम शर्मा ✍️