जाड़े की दस्तक को सुनकर
जाड़े की दस्तक को सुनकर
निकले गर्म रजाई स्वेटर
पर्वत भी अब ओढ़ रहे हैं
श्वेत बर्फ की मोटी चादर
कोहरा घिर घिरकर इतराया
सूरज दादा को धमकाया
बूँदें बनकर बरस रहा है
ये धरती पर झर झर झर झर
जाड़े की दस्तक को सुनकर
चली हवाएँ ठंडी ठंडी
धूप हो गयी बहुत घमंडी
देख रूप मौसम का ऐसा
काँप रहे हैं सारे थर थर
जाड़े की दस्तक को सुनकर
शीतलहर ये सही न जाये
ठंडा पानी ख़ूब चिढ़ाये
आग जलाकर ताप रहे सब
चाय पी रहे कुल्हड़ भर भर
जाड़े की दस्तक को सुनकर
विकट हो गयी है अब सरदी
स्कूलों ने भी छुट्टी कर दी
मम्मी कहती घर में बैठो
बोर हो रहे बच्चे घर पर
जाड़े की दस्तक को सुनकर
09-01-2023
डॉ अर्चना गुप्ता