जाग उठो
जाग उठो – जाग उठो ।
नर – नारी सब जाग उठो;
गर दुनिया में कुछ कर दिखलाना है;
तुम्हें अपना भविष्य बनाना है ।
अपने अन्तर्मन को जानो;
पहले खुद को पहचानो ।
तुम में राम छुपा है; श्याम छुपा है;
अपने अंदर के रावण को मारो ।
जग में ऐसा कोई काम नहीं;
जो न तुम कर पाओ ।
अपनी हिम्मत को तुम जांचो ;
अपनी किस्मत को तुम परखो ।
ये जगत बड़ा विशाल है;
यहां बहु स्पर्धी रहते हैं ।
तुम न किसी से स्पर्धा रखना;
बस अपना लक्ष्य साधे रखना ।
ज्यों – ज्यों मेहनत करते जाओगे;
त्यों – त्यों सफलता पाओगे ।
एक दिन ऐसा आयेगा ;
मेहनत रंग लायेगी ।
उस दिन विजय-श्री आपका वरण करेगी ।
जय हो ; जय हो ; जय हो ।
**** डां. अखिलेश बघेल ****
दतिया ( म.प्र.)