जाग उठो चिंगारी बनकर,आग लगा दो पानी मे
जाग उठो चिगांरी बनकर,
आग लगा दो पानी मे|
क्यो जकड़े हो लचारी मे,
क्या कर रहे जवानी मेे||
नाग नहा रहे अनपड़ नेता,
क्यो जीते नादानी मे|
ब्याकुल बैठी सारी जनता,
लगे सरकार बनानी मे||
आजादी पा करके भी हम,
क्यो जकड़े है गुलामी मे|
जगो जगो जाग जाओ अब,
क्यो मरते खीचा तानी मे||
पुरखो ने थी जान गवाई,
भारत की आजादी मे|
तुम भी दे दो इक कुर्वानी,
मत जकड़ो इस गुलामी मे||
सरकार तो नाच नचावे
तुम क्यो मरो दिवानी मे|
क्यो जकड़े हो लचारी मे
क्यो मर रहे जवानी मे||
✍कृष्णकांत गुर्जर