जाग उठी धरती की ज्वाला
जाग उठी फिर से धरती की ज्वाला,
देख द्रोही होता अब क्या होने वाला ।
क्रांति की आंधी जब चलती है,
सहस्र शिव की तांडव दिखती है ।
एक एक ध्वस्त होगा अहंकार तुम्हारा,
जाग उठा हिन्द- हिन्दू- हिन्दुत्व हमारा ।
अंत हुआ गिरगिट के रंग बदलाव चाल,
स्वयं अवतरित हुए आज महाकाल ।
हिन्द में जन्म लिया वह हिम्मतवाला,
जाग उठी फिर से धरती की ज्वाला ।
छोड़ो रात्रि में भूक ले जितना श्रृंगाल,
कर जितना करले आज तू मलाल ।
दिव्य प्रभा से होगा, स्वागत समारोह,
कलुषित पथभ्रष्ट का होगा अब विद्रोह ,
प्रवाहित होगी सप्तसिंधु की निश्छल धारा,
अखंड था, अखंड रहेगा देश हमारा ।
वंदेमातरम्, वंदेमातरम्, वंदेमातरम्,
फिर सब मिलकर गाएंगे हम ।
रवि का तिमिर भेद छिटका उजाला,
जाग उठी फिर से धरती की ज्वाला
–उमा झा